Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 120( Desire of A Kiss-5)

"क्याआ..क्या.....पर तुमने तो कहा था कि..."

"चल बाय ..ससुर जी को लेकर हॉस्पिटल पहुच ,मैं भी उधरिच मिलता हूँ..."
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कॉल डिसकनेक्ट करने के बाद मैने वरुण की बाइक उठाई और हॉस्पिटल के लिए निकल पड़ा. वैसे मैने निशा से हॉस्पिटल का नाम नही पुछा था लेकिन मुझे 101 % मालूम था कि निशा का रहीस बाप नागपुर के सबसे बेस्ट हॉस्पिटल मे अड्मिट होगा और मेरी ये सोच एक दम सही निकली...
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जिस रूम मे निशा के डैड  अड्मिट थे वहाँ का नज़ारा बिल्कुल जाना पहचाना था..जैसा की अक्सर होता है,निशा का बाप बेड पर बेहोश पड़ा होगा ,उसके हाथ मे ग्लूकोस की एक बोतल उनकी नशो मे सुई छेदकर चढ़ाई गयी होगी और निशा अपनी माँ के साथ बेड के आस-पास उदास बैठी हुई होगी ...

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"क्या हाल है अंकल का..."निशा को कॉल करके मैने पूछा

कॉल रिसीव करने के बाद निशा अपनी माँ के सामने मुझसे बात करने मे थोड़ा हिचकिचा रही थी जिसकी वजह उसके पास बैठी उसकी माँ थी...

"मोम, आपने नीचे जाकर फॉर्म भर दिया क्या..."कॉल होल्ड मे रख कर निशा ने अपनी माँ से पुछा...

"नही..."

"आप जाइए मैं यहाँ डैड के साथ बैठी हूँ..."

जिसके बाद निशा की मॉम नीचे जाने के लिए अपनी जगह से उठी और उसी समय मै भी उस तरफ बढ़ा... रास्ते मे निशा की माँ से मेरा आमना -सामना हुआ. पर वो मुझे नहीं जानती थी, इसलिए उन्होंने मुझपर ध्यान नहीं दिया और अपना सर दबाते हुए आगे निकल गई...

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"Well done, My Girl... देखा... मेरा आईडिया काम कर गया ना... ऐसे ही थोड़े मैने खुद को ~युग पुरुष  की उपाधि दी है...चल पापा बोल "कॉल करके मैने निशा से कहा

"तुम्हारा आईडिया...??.."

"हाँ, आईडिया तो मैने ही दिया था ना... Expired मेडिसिन  वाला.. अब देख यार तू, क्रेडिट मत ले..."

"बिल्कुल नहीं.. मैने तुम्हारा आईडिया यूज़ नहीं किया.. बल्कि मैने डैड को सिम्पली नींद की गोलिया दे दी... तुम्हारे आईडिया मे रिश्क़ बहुत था... .वैसे तुम हो कहा"

"बाहर खड़ा हूँ..."

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जब निशा की माँ लिफ्ट से नीचे चली गयी तो मैं उस रूम के अंदर आया जहाँ निशा के पप्पा जी बिस्तर पर नींद की गोलिया खाकर अपनी नींद पूरी कर रहे थे....अंदर घुसते ही मैने दरवाजा लॉक किया और पर्दे को खिसका दिया ताकि यदि बाहर से कोई मुझ जैसा टपोरी अंदर नज़र मारे तो उसे कुछ  ना दिखे....

"डैड  ,जाग जाएँगे तो प्राब्लम हो जाएगी..."जब मैने अंदर घुसते ही पीछे से निशा को दबोचा तो वो बोल पड़ी ..

"इसका भी जुगाड़ है..."बोलते हुए मैने निशा का एक हाथ पकड़ा और उसके लंबे-लंबे नाख़ून से उसके डैड  के तलवे पर खरोंच मारी...

"ससुर जी सो रहे है....एक्टिंग नहीं कर रहे..आ जा...."निशा के डैड  के शरीर पर कोई हल चल ना देख कर मैने कहा और ये कहते ही निशा होंठो को अपने होंठो से जकड लिया...

निशा को किस बहुत जोर से बहुत देर तक kiss करने के बाद मैने फॉरमॅलिटी निभाते हुए उसका हाल चल पुछा और वो भी फॉरमॅलिटी निभाते हुए लड़कियो के घिसे पिटे अंदाज़ मे बोली

"आइ आम फाइन..व्हाट अबाउट यू " जबकि मैं जानता था कि वो इन दिनो बहुत परेशान सी है, इसलिए फाइन तो वो दूर -दूर तक नहीं है. निशा ने ये फॉरमॅलिटी निभाई ये जानते हुए भी कि मैं सब कुछ  जानता हूँ...

उस थोड़े से वक़्त मे जब मैं उसके साथ था वो हर पल मुस्कुराने का झूठा नाटक करती रही. मै उसके साथ जिस रूम मे निशा के पापा एडमिट थे उससे अटैच बाथरूम मे आया और फिर से यूज़ दबोच लिया... उसके कपडे ऊपर करके उसके गर्दन के नीचे के अंगों को भी kiss करने लगा... निशा की साँसे ऊपर नीचे हो रही थी. वो मुझे मना तो नहीं की..पर मै जो करने के जुगाड़ मे था... वो करने के लिए उसकी तरफ से मुझे कुछ खास प्रतिक्रिया ना देख... मै रुक गया...

"क्या मै गलत कर रहा हूँ, निशा..."

"नहीं..."

"फिर तुम ऐसे उदासीन क्यों हो..."उसके होंठ पर अपने होंठ टच करके मैने पूछा...

"जैसे तुम्हारी मर्जी... "

वो मुझे ये शो कर रही थी की वो बहुत खुश है...जबकि मैं उसकी आँखो को देख कर ही समझ गया था कि वो ऐसा बर्ताव सिर्फ़ मेरा दिल रखने के लिए कर रही है. इसलिए मै वही रूक गया और उसे अपने बांहो मे भरकर इसके आगे सिर्फ उससे बाते की... जब मैं वहाँ से जा रहा था तब वो बहुत खुश नज़र आ रही थी, उसने मुझपर "bye... Take care yourself..." जैसा घिसा पिटा डाइलॉग भी फेक के मारा, लेकिन मैं जानता था की उसने ज़ुबान से तो जाने के लिए कह दिया...लेकिन दिल से वो नही चाहती थी की मैं जाउ.... वो इस वक़्त अंदर से कुछ  और...और बाहर से कुछ  और थी. वो ये सोच रही थी कि मैं उसकी झूठी हँसी और उसकी झूठी मुस्कान पर यकीन करके ये मान जाउन्गा कि वो सच मे बहुत खुश है. जबकि वो खुद मुझे हर दिन मेरी ईमेल आइडी पर अपने परेशानियो को टेक्स्ट फॉर्म मे कन्वर्ट करके मुझे सुनाती थी....जब बात एक दम नाज़ुक सिचुयेशन की हो तो घिसा पिटा डाइलॉग हर किसी के मुँह से निकल जाता है...मेरे भी मुँह से निकला...

" ठीक है तो फिर मैं चलता हूँ...अपना ख़याल रखना और अंकल का भी..."निशा को मैने एक मोबाइल देते हुए कहा..."ये मेरा मोबाइल है, इसे छिपा कर रख और ये बता तू मोबाइल रखती कहाँ है जो ससुर जी हर बार पकड़ लेते है...?? मुझसे सीख...  स्कूल टाइम मे मैं 3 साल हॉस्टल  मे रहा और तीनो साल मोबाइल अपने पास रखा लेकिन मुझे कभी कोई पकड़ नही पाया... मेरे स्कूल के जाने माने काई टीचर्स जो खुद को sherlok holmes की औलाद समझते थे वो कभी मेरे मोबाइल का दीदार तक नही कर पाए और ना ही उन्हें कभी इसकी भनक लगी... Be An Arman."

निशा को मोबाइल देकर... समझा-बुझा कर जब मैं बाहर आ ही रहा था कि तभी मेरी सासू माँ दरवाजा खोल कर अंदर टपक पड़ी और मुझे देख कर वो निशा की तरफ सवालिया नज़रों से देखने लगी....सासू माँ की हरकतों को देख कर मैं समझ गया कि वो किस उलझन मे है...

"मैं यहाँ झाड़ू मारने आया था, लेकिन रूम पहले से चका चक है..अब मैं चलता हूँ... सलाम,मेमसाहिब... पानी - वानी की जरूरत होगी तो वो ब्लू बटन दबाएगा  और यदि कोई इमरजेंसी हुई तो सिरहाने के बगल वाला रेड बटन.... "ये बोलकर मैने तुरंत वहाँ से कल्टी मारी और वापस बाइक स्टार्ट करके अपने फ्लैट  की तरफ जाने लगा....
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हॉस्पिटल से अपने रूम आते वक़्त मैं हर पल बस निशा के बारे मे सोचता रहा कि कितना नाटक कर रही थी खुश होने का... फिर मेरा ध्यान निशा के बाप पर गया जो बेड पर बेहोश लेटे हुए थे...उनकी हालत देख कर मुझे थोड़ा खराब लगा की हमारे कारण उन्हें यहाँ,इस हालत मे आना पड़ा..

"ये मैने क्या किया...सिर्फ़ एक किस के लिए निशा के बाप की ये हालत कर दी...मुझे ऐसा नही करना चाहिए था..."

मैने खुद को गाली दी ,बहुत बुरा भला कहा ये सोचकर कि अब ये ख़यालात मेरे दिमाग़ से चले जाएँगे.. लेकिन जैसे-जैसे वक़्त बीत रहा था मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ निशा के डैड  के बारे मे ही सोच रहा था और ये होना ही था क्यूंकी मेरे 1400 ग्राम के वजन वाले दिमाग़ का ये एक साइड एफेक्ट था कि मैं हद से ज़्यादा किसी टॉपिक पर सोचता हूँ और हद से ज़्यादा किसी काम को करने के लिए उतावला रहता हूँ... मैं कभी ये सोचता ही नही कि फलाना काम मुझसे नही होगा या फलाना परेशानी मैं दूर नही कर पाउन्गा. इस समय अपने रूम की तरफ जाते हुए भी मैं निशा के बाप के बारे मे हद से ज़्यादा सोच रहा था. मैं सोच रहा था कि यदि निशा का बाप ठीक ना हुआ तो .....? यदि निशा के बाप की हालत और नाज़ुक हो गयी तो ......?यदि निशा का बाप किसी कारण मर गया तो.....?
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ये मेरे साथ पहली बार नही हो रहा था जब मैं इतना आगे की सोच रहा था, ऐसा कई  बार मेरे साथ पहले भी हो चुका था...मेरे एक दोस्त ने जब स्कूल मे सुसाइड ( A Dead Dream) किया था तब मैं काई रात तक बस इसीलिए नही सो पाया था क्यूंकी मेरा दिमाग़ हर वक़्त बस उसी इन्सिडेंट की रट लगाए रहता था. मेरे दिमाग़ मे मेरा वो मरा हुआ दोस्त बहुत दिनो तक ज़िंदा रहा और अक्सर रात को वो मुझे मेरे रूम के दरवाजे के पास हाथ मे फरसा लिए खड़ा दिखता था...

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मेरा ब्रेन भी कितना घन चक्कर था जिसने बात कहाँ से कहाँ पहुचा दी थी...मैं इस टॉपिक पर और भी ज़्यादा खोया रहता यदि सामने से गुज़र रहे एक शक्स ने मुझे देखकर गालिया बकते हुए ठीक से बाइक चलाने की नसीहत ना दी होती तो..
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"कहाँ था बे और तेरा मोबाइल कहाँ है...कितनी देर से कॉल कर रहा हूँ लेकिन तू कोई रेस्पोन्स ही नही देता..."रूम के अंदर घुसते ही वरुण ने पुछा... वो ऑफिस से फ्लैट मे आ चुका था.

"निशा को देकर आ रहा हूँ....."

"क्याआ.... सच... दे दिया तूने निशा को... स्टोरी सुना..कैसे दिया "लार टपकाते हुए अरुण बीच मे बोला

"मोबाइल बे हवसी... अपना मोबाइल देकर आ रहा हूँ...."बिना उसकी तरफ देखे मैं सामने वाली टेबल के पास गया और ड्रॉ खोलकर तुरंत सिगरेट की पैकेट  निकाली...

"साला आज बहुत भयंकर एक्सीडेंट  हो जाता,.."तीन-चार कश लगातार मार कर मैने कहा और वरुण की तरफ देखा....वरुण की तरफ देखते ही सिगरेट का जो धुआ मेरे सीने मे था वो अंदर ही रह गया और मैं ज़ोर से खांसने लगा....क्यूंकी इस वक़्त वहाँ वरुण के साथ-साथ सोनम भी मौजूद थी. मैने जिस हाथ मे सिगरेट पकड़ रखी थी उसे पीछे करके दीवार से घिसकर बुझा दिया और सिगरेट वही नीचे गिरा दी...

"अरुण, तूने बताया नहीं की सोनम मैम भी यहाँ है ..."अरुण को मैने घूरा

"मुझे खुद नहीं मालूम.. मै तो मोबाइल चलाने मे बिजी था.. वो तो जब तू आया तब मैने ऐसे ही मोबाइल चलाते हुए वो कह दिया..जो मैने कहा..."

"वरुण और सोनम... मुझे लगता है की... तुम दोनों को प्राइवेसी चाहिए, इसलिए मै बालकनी मे जा रहा हूँ... तुम दोनो अपना कार्यक्रम जारी रखो...."बोलकर मैं बाल्कनी की तरफ बढ़ा  और मेरे पीछे -पीछे मोबाइल कोचकते हुए अरुण भी

"साले,मोबाइल से अपनी नजरें हटा कर सामने भी देख ले... वरना आगे चलते -चलते बालकनी से निचे लुढ़क जाएगा ."

"अरे अरमान तू... तू यहाँ कब आया "

"नही...मैं अरमान नही बल्कि कोई भूत हूँ.... साले मोबाइल से नजरें हटा अपनी बे घोंचू "

"कॉमेडी मत मार और वरुण की आइटम को देखा तूने ..साली क्या लपालप माल है और लपालप खाना खाए जा रही है हम दोनों के लिए लगता है, कम पड़ जायेगा "

"तू एक बात बता कि तू खाने के लिए लार टपका रहा है या सोनम के लिए लार टपका रहा है..."

"दोनो के लिए "

"तब ठीक है... 😋"
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"निशा के डैड  की हालत कैसी है अब अरमान..."इसी दौरान अंदर से सोनम ने मुझे आवाज़ लगाई...

वरुण के साथ वो बिस्तर पर बैठ कर भकाभक कुछ पेले जा रही थी और इसी पेलाई के दौरान पिज्जा का एक स्लाइस अपने मुँह मे लिए घुटी आवाज़ मे उसने मुझसे ये सवाल किया...

"एक दम बढ़िया है Mr. Desai ...कुछ  ही देर मे पहले की तरह खेलने-कूदने लगेंगे..."

"लोल, you are funny... निशा ने मुझे कॉल करके बताया था कि उसके डैड  की तबीयत खराब हो गयी है..."सोनम एक बार फिर अंदर से चिल्लाई...

"मुझे भी निशा ने ही कॉल करके बताया था..."

"तुम हॉस्पिटल से ही आ रहे हो ना..."सोनम मेरा कान फाड़ते हुए एक बार फिर चीखी...

"हााआआन्न्न्नननननणणन्......"झुंझलाते हुए मैने अपना पूरा दम लगाया और पुरे ज़ोर से चीखा... जिसके बाद सोनम ने और कुछ  नही पुछा
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सोनम कुछ  देर तक और वहाँ रही और फिर वहाँ से जाते वक़्त वरुण को बाय ...टेक केयर कहा...  उसके बाद उन दोनो के बीच पप्पी-झप्पी का आदान-प्रदान भी हुआ...
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सोनम के जाने के बाद हम तीनो फिर बैठे हाथ मे एक-एक ग्लास लिए...वरुण जहाँ 8TH SEMESTER ! सेमेस्टर की दास्तान सुनने के लिए बैठा था वही मैं 8TH SEMESTER ! सेमेस्टर की दास्तान सुनाने के लिए बैठा  और अरुण...अरुण हम दोनो का पेग बना रहा था...
"मेरे मे इस बार पानी कम, दारू ज्यादा डालना बे ,लवले .. झंडू टाइप  पेग बनाता है ,साला.... असर ही नही करता..."

"तू आगे बोल...फिर क्या हुआ..."

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फिर....फिर क्या... फिर बहुत बड़ा कांड हुआ...एक दिन कॉलेज से आते वक़्त अरुण ने कहा कि उसे hod  सर के पास कुछ  काम है ,इसलिए मैं सौरभ के साथ हॉस्टल  चला जाउ, वो कुछ  देर मे आएगा....मैं और सौरभ हॉस्टल  आ गये...हमारे हॉस्टल  आने के लगभग आधे घंटे बाद ही अरुण हांफता हुआ आया और रूम के अंदर घुसकर दरवाजा अंदर से बंद कर दिया....

"क्या हुआ बे...किसी ने ठोक दिया क्या...?? या फिर से गर्ल्स हॉस्टल मे चोरी -चुपके चढ़ रहा था.. फर्स्ट सेमेस्टर की तरह "

"बहुत बड़ा लफडा हो गया भाई..."अरुण सीधे आकर मेरे पास बैठा और बोला"दिव्या से किस करते वक़्त गौतम ने देख लिया...गौतम और उसके दोस्त मुझे मारने के लिए दौड़ा रहे थे ,बड़ी मुश्किल से जान बचा कर आया हूँ...मेरा बैग भी पीछे कही गिर गया है.. वर्कशॉप, प्रैक्टिकल्स,असाइनमेंट्स... वगैरह सब उसी मे था...."

ये सुनकर कुछ  देर के लिए मैं घबरा उठा क्यूंकी गौतम इसका बदला अरुण से ज़रूर लेगा और यदि उसने इस बात की हल्की सी भी खबर अपने बाप को दी तो फिर एक बहुत पड़ा बखेड़ा खड़ा होने वाला था... जिसमे गौतम और उसकी बहन दिव्या को तो कुछ  नही होता...लेकिन मेरा खास दोस्त अरुण पिस जाता और उसका साथ देते हुए मै... बोला था साले को कि.. दिव्या को छोड़ दे... लेकिन नहीं, साले को अरमान बनने का शौक था कि जैसे अरमान गौतम की गर्लफ्रेंड से प्यार करता है, वैसे वो भी उसकी बहन से कर लेगा....

"hod  के पास जाने का बोलकर तू इश्क़ लड़ाने गया था बकलोल, आशिक... अब मरा अपनी... साले ."

"बाद मे चाहे जितना मार लेना, गुस्सा कर लेना.... लेकिन अभी कुछ  कर...क्यूंकी गौतम अपने सभी लौन्डो के साथ हॉस्टल  आ रहा है,मुझे मारने के लिए.... भाई,प्लीज बचा ले..."

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1 Comments

सिया पंडित

01-Jan-2022 05:38 PM

What is next....?

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